✍ परवेज़ अख़्तर/एडिटर इन चीफ
सिवान जिले के लकड़ी नबीगंज प्रखंड के नबीगंज बाजार सहित आसपास के इलाकों में ग्रामीणों के बीच यह चर्चा जोरों पर है कि प्रशासन की समय पर सक्रियता नहीं दिखाने के कारण जहरीली शराब के सेवन से दो लोगों की जान चली गई। अमरजीत यादव और अशोक राय की मौत के बाद प्रशासन ने अचानक छापेमारी शुरू की, लेकिन स्थानीय लोग मानते हैं कि यदि प्रशासन पहले सक्रिय होता, तो इन दोनों की जान बचाई जा सकती थी।
प्रशासन की लापरवाही पर सवाल:
लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन चाहे तो किसी भी क्षेत्र में शराब की बिक्री को पूरी तरह से रोक सकता है, लेकिन इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि प्रशासन शराबबंदी को महज दिखावे के तौर पर लागू करता है। चर्चा के मुताबिक, पुलिस से लेकर उत्पाद विभाग तक कई जगहों पर शराब तस्करों के साथ मिलीभगत है, और एक तय रकम के बदले प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जाती है।
घटना के बाद प्रशासन की सक्रियता:
नबीगंज में हुई घटना के बाद उत्पाद विभाग की टीम ने छापेमारी की, जिसके दौरान दर्जनों शराब तस्करों और सेवनकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। हालांकि, इस छापेमारी में कुछ ऐसे लोग भी शामिल थे जिनका इन घटनाओं से कोई संबंध नहीं था। फिलहाल, बाजारों में सन्नाटा छाया हुआ है और लोग भयभीत हैं।
जामो बाजार में खुलेआम शराब की बिक्री:
जामो बाजार थाना क्षेत्र के अधिकांश इलाकों में अब भी शराब खुलेआम बिक रही है। शराब पीने वालों और तस्करों के बीच महज एक सूचना की दूरी है। सूचना मिलते ही तस्कर शराब को निर्धारित स्थान पर पहुंचा देते हैं, और यह सब जानते हुए भी विभाग चुप्प है। जामो बाजार के पोखरा के पास दिन-रात शराब पीने का नजारा रहता है।
युवाओं के नशे की बढ़ती प्रवृत्ति:
शराबबंदी के बावजूद युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। वे अब विभिन्न दवाओं, सूई, गांजा, भांग और सुलीशन जैसे पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। इनकी कीमत कम होती है और इनसे बदबू नहीं आती, जिससे युवा तेजी से इन नशे के पदार्थों की गिरफ्त में आ रहे हैं। जामो बाजार में यह नजारा आम हो चुका है।
