परवेज़ अख्तर/एडिटर इन चीफ
सिवान: अब थानेदार वारंट दबाकर नहीं बैठ सकेंगे, क्योंकि पुलिस मुख्यालय ने एक ऐसा एप तैयार किया है, जो हर वारंट का पूरा हिसाब रखेगा। इस एप का उद्देश्य जिले में वारंट की इंट्री और निगरानी करना है। एप में जैसे ही कोई वारंट अपलोड होगा, वह मुख्यालय तक पहुंचेगा और अधिकारी को वारंट के निष्पादन तक लगातार अलर्ट करेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वारंटी की गिरफ्तारी में कोई लापरवाही नहीं हो।
अब तक थानेदार और आईओ वारंट दबाकर बैठ जाते थे, जबकि वारंटी खुलेआम घूमते थे। लेकिन नए एप से अब अधिकारियों को वारंट की वास्तविक स्थिति का तुरंत पता चलेगा। एप में वारंट अपलोड होते ही इसकी मॉनिटरिंग मुख्यालय स्तर पर होगी, और पुलिस अधिकारी पर अतिरिक्त दबाव के कारण उन्हें नियमित छापेमारी भी करनी होगी। पहले वारंट की समीक्षा सिर्फ थानेदार की रिपोर्ट पर आधारित होती थी, लेकिन अब एसपी कार्यालय से सीधे कोर्ट से प्राप्त वारंट की जानकारी एप के माध्यम से थाने तक पहुंचेगी।
अगर कोर्ट से सीधे थाने में वारंट आता है, तो थानेदार एप में पहले इसकी इंट्री करेंगे और फिर किसी अधिकारी को कार्रवाई के लिए तैनात करेंगे। एप से यह भी पता चलेगा कि किस अधिकारी की ड्यूटी वारंट निष्पादन के लिए लगी है। एप के जरिए किसी भी जिले के वारंटी की जानकारी किसी भी जगह देखी जा सकती है। अगर किसी दूसरे जिले में छिपा हुआ वारंटी है, तो वहां के पुलिस अधिकारी एप पर एक क्लिक से उसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, थानेदारों को एप के संचालन और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। जिले के सभी वारंट एप में अपलोड किए जाएंगे, और जैसे-जैसे नए वारंट आते जाएंगे, उन्हें भी अपडेट किया जाएगा। इसी तरह, वारंट का निष्पादन भी थाने स्तर पर एप में अपडेट होता रहेगा।