✍🏽 परवेज़ अख़्तर / एडिटर इन चीफ
सिवान : नवजीवन और मानव कल्याण की कामना के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान मंगलवार को नहाय-खाय से आरंभ हो गया। इस दिन छठ व्रतियों ने स्नान कर भगवान सूर्य की आराधना की और सात्विक भोजन, जैसे अरवा चावल का भात, अरहर-चना की दाल, और सेंधा नमक युक्त लौकी की सब्जी तैयार की। व्रतियों ने भगवान सूर्य को जल अर्पित कर भोजन ग्रहण किया, जिसे परिजनों और इष्ट-मित्रों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।
चार दिवसीय अनुष्ठान की विशेषताएं
दूसरे दिन, छठ व्रती शाम को भोजन करने के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं और मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से खरना का प्रसाद तैयार करती हैं। इसमें गेहूं की रोटी, साठी चावल और गुड़ से रसियाव का विशेष प्रसाद बनता है, जिसे व्रतियों के परिजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
गुरुवार को अपराह्न तीन बजे से छठ व्रतियां छठ डाला के साथ निकट के घाटों पर जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देती हैं। वहां सूर्य प्रतिमा के पास पूजा-अर्चना के बाद वे घर लौटकर आंगन में कोसी भरने की प्रथा पूरी करती हैं। रात के समय छठ घाटों पर परिवारजन कोसी भरने का अनुष्ठान करते हैं।
अलसुबह शुक्रवार को छठ व्रती पुनः घाट पर पहुँचकर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, और धन-वंश वृद्धि की कामना करती हैं। इसके बाद वे अन्य देवी-देवताओं की पूजा कर घर लौटती हैं और पारण कर इस चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन करती हैं।
