समय सीवान

✍परवेज़ अख़्तर/एडिटर इन चीफ

बड़हरिया प्रखंड के औराई मैदान में रविवार को शिव शिष्य हरिद्रानंद फाउंडेशन के तत्वावधान में शिव गुरु महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में शिव शिष्य उपस्थित हुए। कार्यक्रम में शिव शिष्य अर्चित आनंद और दीदी बरखा आनंद ने भगवान शिव की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए लोगों से शिव का शिष्य बनने की अपील की।

अर्चित आनंद ने बताया कि शिव शिष्य हृदयानंद ने 1974 में भगवान शिव को अपना गुरु माना था। 1980 के दशक में उनकी शिष्यता का संदेश पूरे भारत में फैल गया। शिव शिष्य नीलम आनंद ने जाति, धर्म, लिंग और वर्ण से परे मानव मात्र को भगवान शिव के गुरु स्वरूप से जोड़ने का आह्वान किया था।

गुरु बरखा आनंद ने कहा कि भगवान शिव की शिष्यता ही मानव के अभ्युदय का एकमात्र मार्ग है। शिव जगत गुरु हैं और हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या संप्रदाय का हो, शिव को अपना गुरु बना सकता है। शिव का शिष्य बनने के लिए किसी औपचारिक प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है, बल्कि मन में यह विचार स्थाई करना कि “शिव मेरे गुरु हैं” ही पर्याप्त है।

उन्होंने शिष्यता के तीन सूत्र बताए:

1. गुरु शिव से प्रतिदिन संवाद करें और कहें, “हे शिव, आप मेरे गुरु हैं, मैं आपका शिष्य हूं।”

2. दूसरों को यह समझाएं कि शिव गुरु हैं ताकि वे भी शिव को गुरु के रूप में अपनाएं।

3. मन ही मन शिव को प्रणाम करें, और यदि इच्छा हो तो “नमो शिवाय” मंत्र का जाप करें।

कार्यक्रम में बिहार और अन्य प्रदेशों से भी बड़ी संख्या में शिव शिष्य शामिल हुए। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष हृदय आनंद, उपाध्यक्ष कल्याण वर्मा समेत अन्य शिव शिष्यों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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