✍परवेज़ अख़्तर/एडिटर इन चीफ
बिहार की सुप्रसिद्ध लोक गायिका और पद्म विभूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा का मंगलवार को दिल्ली एम्स में निधन हो गया। 72 वर्षीय शारदा सिन्हा लंबे समय से बीमार थीं और बीते महीने तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एम्स के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। परिवार और प्रशंसकों की उम्मीदों के बावजूद, सोमवार शाम को उनकी स्थिति गंभीर हो गई, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा। मंगलवार देर शाम उन्होंने अंतिम सांस ली, जिससे देशभर में उनके प्रशंसकों और शुभचिंतकों में शोक की लहर दौड़ गई है।
प्रशंसकों में छठ पर्व के दौरान गमगीन माहौल
छठ महापर्व के दौरान शारदा सिन्हा के लोकप्रिय छठ गीतों की गूंज हर ओर सुनाई दे रही थी। ऐसे समय में उनके निधन की खबर ने उनके प्रशंसकों को स्तब्ध कर दिया है। शारदा सिन्हा के गीत बिहार और पूर्वांचल की संस्कृति में गहराई से जुड़े रहे हैं और उन्होंने छठ पर्व को अपनी आवाज से एक नया आयाम दिया था। सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसक उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं और उनके अविस्मरणीय योगदान को याद कर रहे हैं।
सोमवार को बिगड़ी थी तबीयत, पुत्र ने दी थी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी
सोमवार शाम को शारदा सिन्हा की स्थिति फिर से नाजुक हो गई थी। उनके पुत्र अंशुमन ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी थी कि गंभीर इंफेक्शन के कारण उनकी मां को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा है। उन्होंने बताया कि उनके प्रयासों के बावजूद शारदा सिन्हा बेहोशी की हालत में थीं, और परिवार उनकी हालत को लेकर चिंतित था।
हाल ही में पति का भी हुआ था निधन
शारदा सिन्हा के पति का निधन भी हाल में ही हुआ था, जिससे उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। ब्रेन हैमरेज के चलते उनका भी निधन हुआ था, और इस वर्ष उन्होंने अपनी शादी की 54वीं सालगिरह मनाई थी। शारदा सिन्हा के निधन के साथ ही संगीत की दुनिया ने एक अनमोल रत्न खो दिया है। उनके अविस्मरणीय गीत और लोक संगीत में योगदान उन्हें हमेशा जीवित रखेंगे।
शारदा सिन्हा को संगीत के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म श्री और पद्म विभूषण जैसे राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया था। उनकी आवाज ने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश को उनकी लोकधुनों से जोड़ा और एक सांस्कृतिक सेतु का निर्माण किया।
